यूरोपियन ग्लास ईल समुद्र में रास्ता खोजने के लिए आंतरिक मैग्नेटिक कंपास का इस्तेमाल करती हैं

वॉशिंगटन.अटलांटिक महासागर में एक ऐसी ईल रहती है जो अपनी यादों को बनाए रखने के लिए पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करती है। नॉर्वे के इंस्टिट्यूट ऑफ मरीन रिसर्च के शोधकर्ताओं ने यह खुलासा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यूरोपीय ग्लास ईल में मनुष्यों जैसी भावनाएं होती हैं। वे चुंबकत्व को महसूस कर सकती हैं। इसकी सहायता से वे भौतिक रूप से अपने लिए पहचान बना सकती हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह खोज पहला सबूत है कि मछली की किसी भी प्रजाति में आंतरिक चुंबकीय कंपास होता है, जिससे वह जलधारा की दिशा को याद कर सकतीहै। नेविगेशन क्षमताओं की जांच के लिए टीम नॉर्वे के जंगली इलाके से 200 ईलों को प्रयोगशाला ले गई। उन्हें एक टैंक में रखा और जलधारा की दिशा में हेरफेर किया। उन्होंने देखा कि इससे मछलियां प्रभावित नहीं हुईं। उन्होंने अपनी स्मृति और भावनाएं बनाएं रखीं। उन्हें उत्तर दिशा की पहचान थी।

जीवन में 2 बार अटलांटिक महासागर पार करती हैं ईल

ईलसमुद्र में रास्ता ढूंढने के लिए पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करती हैं। इससे वे उत्तर दिशा का पता लगाती हैं। ईल का जहां जन्म होता है, वे वहीं आकर मरती हैं। जानकारी के मुताबिक, यूरोपीयन ईल (एंगुइला एनगिला) एक ऐसी प्रजाति है जो अपने जीवनकाल में दो बार अटलांटिक महासागर को पार करती है।

पारदर्शी होता हैग्लास ईल का शरीर

ये मछलियां उत्तरी अमेरिका के पास सरगासो सागर में आकर अंडे देती हैं। कहा जाता है कि ज्यादातर नर ईल समुद्री तटों और मादा नदियों, तलाब के मीठे पानी में रहती हैं। लेकिन अंडे देने के लिए ये लंबी दूरी तय कर सारगासो सागर आती हैं। यहां अंडे सेने के बाद ज्यादातर ईल की थकने के कारणमौत हो जाती है। वहीं, इनके लार्वा समुद्र की धारा के साथ बहते हुए 3,000 मील (4828 किमी) से ज्यादा दूरी तय करते हुए यूरोपीय महाद्वीप के ढलान तक पहुंचते हैं। इस समय इनका शरीर बिल्कुल पारदर्शी होता है, इसीलिए इन्हें ग्लास ईल कहते हैं।

ईल प्रसाव के लिए अविश्वसनीय कार्य करती है: शोधकर्ता

यूएम रोसेंशियलस्कूल में समुद्र विज्ञान के प्रोफेसर क्लेयर पेरिस का कहना है कि हैरानी की बात है कि मछली का जीवन ही लक्ष्य निर्धारित होता है। पीएचडी छात्र एलेसेंड्रो क्रिससी ने कहा कि यूरोपीय ईल के व्यवहार को समझने से हमें काफी जानकारी मिलती हैं। छोटी ईल अपने प्रवास के लिए अविश्वसनीय काम करती हैं।यह शोध कुछ दिनों पहले जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ था।



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ग्लास ईल।


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