लीजेंड के बेटे अशोक कुमार बोले- मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग हमारी नहीं, बल्कि आम जनता की है
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हॉकी के जादूगर भारतीय लीजेंड मेजर ध्यानचंद का आज 115वां जन्मदिन है। इस मौके पर उनके बेटे अशोक कुमार ने कहा कि ध्यानचंद को हमेशा भारत रत्न देने की मांग उठती रही है। यह हमारी नहीं, बल्कि आम जनता की मांग है।
ध्यानचंद ने भारत को लगातार 3 बार ओलिंपिक में स्वर्ण पदक दिलवाया था। ध्यानचंद की बॉल पर पकड़ बेजोड़ थी, इसलिए उन्हें ‘दी विजार्ड’ कहा जाता था। ध्यानचंद ने अपने इंटरनेशनल करियर में 400 से ज्यादा गोल किए। उन्होंने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच 1948 में खेला था।
अशोक भी हॉकी लीजेंड
अशोक कुमार भी हॉकी लीजेंड रहे हैं। उन्होंने 1975 में पाकिस्तान के खिलाफ हॉकी वर्ल्ड कप में विजयी गोल किया था। यह मैच मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में हुआ था।
ध्यानचंद की जगह सचिन को सम्मान मिला
अशोक ने भारत रत्न देने की मांग को लेकर कहा, ‘‘यह न सिर्फ हमारे परिवार के लिए, बल्कि सभी खेल प्रेमियों के लिए भी गर्व की बात होगी। सच्चाई यह भी है कि ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग भारतीय लोगों ने की है, हमने नहीं। अब सिर्फ सरकार को ही इस पर फैसला करना है। मेरी जानकारी के मुताबिक, यूपीए-2 के दौरान खेल मंत्रालय ने दादा (ध्यानचंद) को भारत रत्न दिए जाने की सिफारिश की थी, लेकिन पता नहीं किस कारण से सचिन तेंदुलकर के नाम पर मुहर लग गई।’’
ध्यानचंद जैसा दिग्गज भारतीय महाद्वीप में कोई नहीं
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सचिन का सम्मान करता हूं और पसंद भी करता हूं। वे क्रिकेट के महान खिलाड़ी हैं, लेकिन खेल के दिग्गज यह भी मानते हैं कि ध्यानचंद जैसा दिग्गज अब तक भारतीय उपमहाद्वीप में कोई नहीं हुआ है, क्योंकि वे अपराजेय रहे थे।’’
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