भीड़ ने पुलिस के सामने मुस्लिमों पर हमला किया, हिंसा की वजह सीएए के खिलाफ आंदोलन

भीड़ ने पुलिस के सामने मुस्लिमों पर हमला किया, हिंसा की वजह सीएए के खिलाफ आंदोलन
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भास्कर न्यूज|नई दिल्ली. देश के दिल में जारी हिंसा को वर्ल्ड मीडिया काफी प्राथमिकता के साथ कवर कर रही है। ज्यादातर विदेशी मीडिया हिंसा के पीछे भाजपा का हाथ बता रहा है और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। ज्यादातर मीडिया ने लिखा है कि दिल्ली पुलिस हिंसा रोकने में नाकाम रही फिर भी कह रही कि स्थिति नियंत्रण में है। पढ़ें दिल्ली हिंसा पर दुनिया के चार बड़े अखबारों की रिपोर्ट के मुख्य अंश...

न्यूयॉर्क टाइम्स, अमेरिका: जब ट्रम्प और मोदी बातचीत कर रहे थे, तब हजारों लोग हिंसा का सामना कर रहे थे

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दिल्ली में मौजूदगी के दौरान ही वहां की सड़कों पर दंगा शुरू हो गया। भारत की राजधानी के कई इलाकों में हिंदू और मुस्लिमों की बीच हुई हिंसा में दर्जन भर से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। जब ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी आपस में बातचीत कर रहे थे, उस वक्त हजारों लोग हिंसा का सामना कर रहे थे। सड़कों पर पेट्रोल बम और गोली चल रही थी, भीड़ वाहनों पर हमले कर रही थी। बड़ी संख्या में पत्रकार और पुलिस के जवान अस्पताल में भर्ती हैं। इस हिंसा के पीछे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहा आंदोलन है।

सीएनएन, अमेरिका: भीड़ दुकानों में आग लगा रही थी, पुलिस असहाय होकर देख रही थी

भारत में सीएए समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई हिंसा में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह हिंसा सोमवार को शुरू हुई थी, उसी दिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत पहुंचे थे। पुलिस आंसू गैस छोड़ रही थी, इसके बावजूद दो समुदाय एक-दूसरे पर पथराव कर रहे थे। भीड़ दुकानों और पेट्रोल पंप में आग लगा रही थी। पुलिस असहाय होकर सिर्फ देख रही थी। राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि पुलिस स्थिति पर नियंत्रण करने में नाकामयाब है, इसलिए सेना को बुलाया जाना चाहिए।

गार्डियन, ब्रिटेन: भारत की राजधानी में दशक की सबसे बड़ी धार्मिक हिंसा, डर से कई बेघर हुए

भारत की राजधानी दिल्ली में दशक की सबसे बड़ी धार्मिक हिंसा भड़की है। इसमें अब तक 20 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। हिंदूओं की भीड़ ने मुस्लिमों के घरों और कई मस्जिदों पर हमला किया। यह हिंसा रविवार को उस वक्त भड़की, जब हिंदू और मुस्लिम समूह एक-दूसरे के सामने आ गए। हिंसा के तीन दिन हो गए हैं। बुधवार की रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ मुस्लिमों के घरों में लूटपाट भी हुई है। हिंसा के डर से कई लोग बेघर हो गए हैं। 200 से ज्यादा लोग गोलीबारी में घायल हुए हैं।

बीबीसी, ब्रिटेन: हिंदू और मुस्लिमों की बीच हिंसा से दिल्ली में स्थिति तनावपूर्ण

दिल्ली में हिंदू और मुस्लिमों के बीच हुई हिंसा के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। लगातार तीसरे दिन रात में भीड़ ने मुस्लिम लोगों के घरों और दुकानों को निशाना बनाया। अब तक 23 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। यह राजधानी में इस दशक की सबसे बड़ी हिंसा है। यह हिंसा रविवार शाम को उस वक्त शुरू हुई, जब सीएए समर्थक और विरोधी एक-दूसरे से भीड़ गए। कई तस्वीरों में हिंदू और मुस्लिम एक-दूसरे पर हमला करते दिखाई दे रहे हैं।

अलजजीरा, खाड़ी देश: पुलिस ने हिंदू भीड़ को मुस्लिमों पर हमले करने में मदद की

भारत की राजधानी दिल्ली में दशक की सबसे बड़ी हिंसा हुई है। एक मस्जिद को आग के हवाले कर दिया गया है। पुलिस पर आरोप है कि वह हिंदू भीड़ को मुस्लिमों और उनकी संपत्ति पर हमले में मदद कर रही थी। भीड़ जय श्री राम के नारे लगा रही थी। कई मुस्लिम इलाकों में तीन दिन से हिंसा चल रही है। यह हिंसा तब भड़की, जब कुछ नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ धरने पर बैठ गए।

डॉन, पाकिस्तान: भाजपा नेता पुलिस के सामने ही मुस्लिमों पर हमला करते रहे

दिल्ली में तीन दिन से हिंसा जारी है। इस हिंसा के पीछे पुलिस की लापरवाही सामने आ रही है, क्योंकि एक साथ दिल्ली में कई जगहों पर हुई हिंसा पुलिस की मिलीभगत के बिना संभव नहीं थी। गृह मंत्रालय भी अंधा बना रहा। हिंदू भीड़ मुस्लिम इलाकों में पुलिस के सामने ही हिंसा करती रही। सत्ताधारी पार्टी भाजपा के नेता भी इस भीड़ में शामिल थे। भाजपा के बड़े नेता भी पूरी हिंसा पर मौन रहे। सवाल पैदा हो रहे हैं कि यदि पुलिस हिंदू भीड़ को नियंत्रित करने में नकाम थी, तो शांति करने के लिए आर्मी की मदद क्यों नहीं मांगी। इसके बावजूद दिल्ली पुलिस कहती रही, स्थिति नियंत्रण में है।



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विदेशी मीडिया हिंसा के पीछे भाजपा का हाथ बता रहा है।

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