पहाड़ पर चढ़ाई के बाद ही मौत के मुंह में पहुंचे; फेफड़े सफेद हो चुके थे, 32 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद कोरोना से जीती जंग

पहाड़ पर चढ़ाई के बाद ही मौत के मुंह में पहुंचे; फेफड़े सफेद हो चुके थे, 32 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद कोरोना से जीती जंग
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पाम बेलुक.मार्च के अंत में मैसाचुसेट्स की किम बेलो ने डॉ. से फोन पर पूछा- क्या मेरे पति लौट आएंगे?’ उनके 49 साल के पति जिम हॉस्पिटल में कोरोनोवायरस से जूझ रहे थे। डॉ. ने कहा- ‘हम कोशिश कर रहे हैं। अगर ईमानदारी से कहूं, तो बचने की संभावना कम है।’ किम बताती हैं- ‘जिम ने 7 मार्च को न्यू हैम्पशायर के 2000 मी. ऊंचे व्हाइट माउंटेन पर चढ़ाई की थी। लौटे, तो तेज बुखार था। खांसी और सीने में जकड़न होने लगी। डॉक्टर ने एंटीबायोटिक्स देकर घर भेज दिया। 6 दिन बाद 103 डिग्री बुखार और सांस लेने में तकलीफ बढ़ी। डॉक्टरों ने तुरंत वेंटिलेटर लगा दिया। जिम ने पूछा- अगर मैं जीवित नहीं लौटा तो... उन्होंने मुझे उसी तरह देखा, जब हम पहली बार मिले थे।’


मैसाचुसेट्स हॉस्पिटल के डॉ. पॉल करियर बताते हैं- ‘जिम का एक्स-रे देखकर हम हैरान रह गए। फेफड़े सफेद पड़ चुके थे। यह मेरी जिंदगी का सबसे खराब चेस्ट एक्स-रे था। हमें लगा कि उन्हें बचा नहीं पाएंगे। फिर भी एक्सपरिमेंटल ड्रग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, रेमडीसिविर और वेंटिलेटर आजमाया। इससे काम नहीं बना तो हेल मैरी सिस्टम अपनाया। इसके लिए वेंटिलेटर को 30 सेकंड के लिए हटाना था, लेकिन इसमें जिम की जान जा सकती थी। ऑक्सीजन, सांस की मात्रा और दबाव की लगातार निगरानी की।

18 मार्च को रात दो बजे जिम की हालत में थोड़ा सुधार दिखा। लेकिन दिन होते ही खून में ऑक्सीजन का स्तर घटने लगा। कुछ भी काम नहीं कर रहा था, इसलिए आखिरी इलाज का फैसला किया। 8 लोगों की टीम ने जिम की गर्दन और पैर में बड़ी ट्यूब डालीं और ईसीएमओ से जोड़ दिया। यह मशीन खून को निकाल उसमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाकर वापस शरीर में डाल देती है।’
नर्स केरी वोइकेल रोज फोन और वीडियो कॉल से जिम के परिवार को उनकी स्थिति बताती थीं। वे बताती हैं- ‘28 मार्च को सिरहाने से जैसे ही तकिया हटाया, तो देखा कि जिम की भौहें हिल रही हैं। आंख खुलते ही उन्होंने मेरे हाथ मजबूती से थाम लिए। मैं जोर से चिल्लाई- ओह माय गॉड, जिम लौट आए हैं। हमने उन्हें बचा लिया। ड्यूटी से घर जाते वक्त रास्ते भर रोती रही। उनकी पत्नी, बच्चों के चेहरे, बातें, वीडियो कॉल आंखों के सामने घूमते रहे।’
14 अप्रैल को जिम बेलो को वेटिंलेटर से हटाया गया। 32 दिन में पहली बार वे खुद से सांस ले पा रहे थे। जब आईसीयू से निकले, तो पूरे स्टाफ ने तालियां बजाकर हौसला बढ़ाया।



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Reached the mouth of death only after climbing the mountain; Lungs turned white, battle won from Corona after being on ventilator for 32 days

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