अमेरिका में रेमडेसिविर दवा के रिजल्ट पॉजिटिव, एफडीए इसके इस्तेमाल की घोषणा की तैयारी में
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अमेरिका में कोरोनावायरस से इलाज के लिए एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर के काफी पॉजिटिव रिजल्ट्ससामने आए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प औरइन्फेक्सियस डिसीज साइंटिस्ट एंथनी फौसी ने रेमडेसिविर के शुरुआती परीक्षण के परिणामों को बेहतर बताया है। फौसी ने उम्मीद जताई है कि यह दवा बढ़ती मौतों की दर को रोकसकती है। अमेरिका का फूड ड्रग एंड एममिनिस्ट्रेशन (फडीए) विभाग जल्द ही इसके इस्तेमाल की घोषणा कर सकता है।
रेमडेसिविर से बढ़ा मरीजों का रिकवरी रेट
इससे पहले ट्रम्प ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना में कारगर दवा बताया गया था। हालांकि, तब डॉक्टरफौसी ने इसे खारिज कर दिया था। अब फौसी के उम्मीद जताने के बाद माना जा रहा है कि यह दवा वाकई में कारगर हो सकती है। फौसी ने कहा, “इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों के रिकवरी रेट को बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालांकि, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीज दवा के परीक्षण के परिणामों की और गहन समीक्षा कर रही है। परीक्षण से यह संकेत मिलता है कि रेमडेसिविररिकवरी टाइम को एक तिहाई तक घटा सकतीहै। मतलब 15 दिन में ठीक होने वाला मरीज पांच दिन में ही ठीक हो जाएगा। अभी इस अध्ययन में 31 प्रतिशत सुधार होने की उम्मीग है। फिर भी यह बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह साबित हो चुका है कि यह दवा वायरस को रोक सकती है।’’ ट्रम्प ने भी इसे अच्छा संकेत बताया। कहा, ‘‘निश्चित रूप से यह एक बड़ी सकारात्मक घटना है।’’
गिलियड साइंसेज ने इबोला के इलाज के लिए बनाई थी रेमडेसिविर
अमेरिकी बायोफार्मास्युटिकल कंपनी गिलियड साइंसेज ने इबोला महामारी के दौरान रेमडेसिविर बनाई थी। हालांकि, अफ्रीका में इसके क्लीनिकल ट्रायल के दौरान निराशा हाथ लगी थी। खास बात ये है कि रेमडेसिविर को कभी किसी बीमारी के इलाज के लिए अप्रूव नहीं किया गया। गिलियड के मुताबिक, रेमडेसिविर अभी तक अमेरिका या दुनिया में कहीं भी लाइसेंस्ड या अप्रूव्ड नहीं है।
रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाया जा रहा
गिलियड साइंसेज के प्रवक्ता रयान मैककेल ने कहा कि कंपनी इस बात पर अटकल नहीं लगा सकती है कि सरकार क्या एक्शन लेगी। हालांकि, हम उनके साथ कोविड-19 के इलाज के रूप में रेमडेसिविर के इस्तेमाल और परीक्षण में पॉजिटिव रिजल्ट्स परचर्चा कर रहे हैं। रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ा रहे हैं।अगर तुरंत जरूरत पड़े तो हम उसे उपलब्ध करा सकें।
1000 लोगों पर किया गया परीक्षण
गिलियड साइंसेज ने इस दवा का 1000 वॉलेंटियर पर तीन चरणों का परीक्षण किया है। फौसी ने बताया कि अमेरिका के साथ ब्रिटेन, जर्मनी, डेनमार्क, स्पेन और ग्रीस में इसका परीक्षण शुरू किया गया। एक बात कॉमन रही कि इस दवा के इस्तेमाल से मरीज को रिकवर होने में मदद मिल रही है। यह दवा शरीर में एक विशेष प्रकार के एंजाइम को रोक देती है, जिसका इस्तेमाल करके कोरोनावायरस शरीर में फैलता है।
चीन में नाकाम
इसी दवा को लेकर चीन में हुए एक अध्ययन में कोविड-19 के मरीजों पर इसका कोई सकारात्मक असर नहीं देखा गया था। इस अध्ययन को जर्नल लैंसेट में भी प्रकाशित किया गया था। हालांकि, अध्ययन में यह कहा गया था कि हो सकता है कि रेमडेसिविर अन्य जगहों पर दूसरे लोगों के लिए उपयोगी साबित हो, लेकिन चीन में इसका कोई खास असर नहीं दिखा। चीन में हुए अध्ययन में बहुत कम लोगों पर इसका परीक्षण किया गया था। बीजिंग के कैपिटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉ. बिन चाओ ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से हमारे परीक्षण में रेमडेसिवर का कोई भी फायदा सामने नहीं आया।’’
कई रिपोर्ट में इसके प्लेसिबो होने का दावा
रेमडेसिविर को लेकर कई रिपोर्ट में इसके प्लेसिबो होने का दावा किया गया है।प्लेसिबो उस इलाज को कहते हैं, जिसमें मरीज की इच्छाशक्ति मजबूत होने पर वह खुद ही ठीक हो जाता है। उदाहरण के तौर पर जब मरीज किसी बीमारी को लेकर शिकायत करते हैं और डॉक्टरों को जांच में कुछ नहीं मिलता तो वे कोई भी मीठी गोली दे देते हैं। ऐसे में मरीज को भरोसा होता है कि डॉक्टर ने उसे सही दवा दी है और उसकी ठीक होने की इच्छाशक्ति मजबूत हो जाती है। इसके चलते वह ठीक हो जाता है। इलाज के इस तरीके कोप्लेसिबो कहा जाता है। माना गया है कि रेमडेसिविर का कोविड-19 पर असर होता है कि नहीं ये नहीं पता चला है। हालांकि, परीक्षण में भाग लेने वालों को लगा कि इस दवा से वह ठीक हो जाएंगे तो उनके रिकवर होने की स्पीड बढ़ गई। यह सब उनके दिमाग की इच्छा शक्ति की वजह से ही हुआ।
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