मुंबई की तर्ज पर यूके की संसद पर हमला करना चाहता था पाकिस्तानी मूल का आतंकी, हमले की रिहर्सल का भी खुलासा
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लंदन.शुक्रवार को लंदन ब्रिज पर दो लोगों की चाकू मारकर हत्या करने वाला आतंकी यूके की संसद पर मुंबई की तर्ज पर हमला करना चाहता था। पाकिस्तानी मूल के इस आतंकी का नाम उस्मान खान है। आतंकी उस्मान ने यूके की संसद पर मुंबई हमले की तरह हमला करने का अभ्यास भी करके देखा था। उसने अपने दो सहयोगियों के साथ मध्य लंदन के इलाकों की रेकी की थी, ताकि वहअलग-अलग इलाकों में धमाकोंकी योजना बना सके।
जनवरी 2012 में उसे ब्रिटेन के आतंकवाद अधिनियम 2006 की धारा 5 (1) के तहत आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का दोषी पाया गया। अदालत ने उसे 8 साल की सजा सुनाई थी। उस पर आतंकवाद फैलाने, योजना बैठकों में शामिल होने, आतंकवादी प्रशिक्षण के लिए धन जुटाने, नियम विरुद्ध विदेश यात्रा और गलत मकसद में दूसरों की सहायता करने के आरोप थे। लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर बम से हमला करने की योजना बनाने और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पारिवारिक जमीन पर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चलाने के आरोपी उस्मान को सजा सुनाने वाले जज ने उसे "आतंकवाद फैलाने वाला और जनता के लिए गंभीर और दीर्घकालिक जोखिम" करार दिया था।
इंटरनेट के जरिए आतंकी विचारधारा के संपर्क में था आतंकी
स्कॉटलैंड यार्ड के काउंटर टेररिज्म पुलिसिंग के सहायक आयुक्त नील बसु ने शनिवार को कहा, "हम संदिग्ध की पहचान 28 वर्ष के उस्मान खान के तौर पर कर सकते हैं, जो स्टैफोर्डशायर क्षेत्र में रहता था।" एक सजायाफ्ता मुजरिम होने के चलते आतंकी उस्मान खान की प्रोफाइल आपराधिक रिकॉर्ड में मौजूद थी। इससे पता चला कि वह ब्रिटेन में जन्मा पाकिस्तानी मूल का नागरिक था। किशोरावस्था में वह अपनी बीमार मां के साथ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में रहा। इसके बाद ब्रिटेन लौटने पर वह इंटरनेट के जरिए वह कट्टरपंथियों के संपर्क में आया।
अल-कायदा और आईएस से जुड़े तार
ब्रिटेन में वह अल-कायदा की विचारधारा से जुड़े एक गुट में शामिल हुआ। अधिकारियों को उसके संबंध आईएसआईएस से होने का भी संदेह है। वह यूके से चरमपंथियों की भर्ती कर, उन्हें गुप्त रूप से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में प्रशिक्षण देने की योजना बना रहा था। उसने अपनी योजना की रिकॉर्डिंग भी की थी। साल 2012 में सजा सुनाते वक्त न्यायाधीश ने उसे खतरनाक जिहादी बताया था। अदालत ने कहा था कि उसे तब तक नहीं छोड़ा जाना चाहिए, जब तक वह लोगों के लिए खतरा है। वह दिसंबर 2018 में पैरोल पर जेल से छूटा था।
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