समुद्र के अंदर स्थित टेलीकॉम केबल समुद्र के अंदर भूकंप की निगरानी में मददगार होंगे
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लॉस एंजिल्स. समुद्र के अंदर स्थित टेलीकॉम केबल शोधकर्ताओं के लिए तटीय भूकंप की निगरानी में मददगार होंगे। इससे समुद्र की गहराई में छुपे भौगोलिक ढांचोंके बारे में भी जानकारी मिलेगी।न्यूज एजेंसी के अनुसारजॉर्नल साइंस में इससे संबंधित शोध प्रकाशित किया गया है। शोध मेंसमुद्री सतह के नीचे स्थित 20 किमीं. फाइबर-ऑप्टिक केबल को 10,000 सिस्मिक स्टेशन में बदलने का प्रयोग हुआ है।
अमेरिका के बर्कले यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं और अन्य रिसर्चस की टीम ने 4 दिनों का प्रयोग किया। इसमें अंडरवाटर फॉल्ट जाेन में 3.5 मैग्नीच्यूड का भूकंप मापा गया। इसमें रौशनी का पता लगाने वाले एक उपकरण को भेजा गया। इसकी मदद से शोधकर्ताओं ने हर दो मीटर पर रौशनी के बिखराव को मापा। प्रयोग में 20 किलोमीटर अंडर सी केबल को 10,000 मोशन सेंसर में बदल दिया गया।
नई प्रणाली सूक्ष्म बदलावों के प्रति भी संवेदनशील
इस तकनीक को ड्रिस्ट्रीब्यूटेड एकॉस्टिक सेंसिंग नाम दिया गया है। इससे पहले यह प्रयोग जमीन पर लगाए जाने वाले केबल पर भी किया जा चुका है। मौजूदा समय में समुद्री सतह के नीचे होने वाले भूकंप की जानकारी देने वाले कुछ ही सिस्मिक स्टेशन हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि नई प्रणाली सूक्ष्म बदलावों के प्रति भी संवेदनशील है। अब वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि दुनिया भर के फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क का इस्तेमालभूकंप संबंधी अध्ययन के लिए हो सकेगा। दुनिया भर में ऑप्टिकल फाइबर का नेटवर्क 1 करोड़ किमी. में है।
समुद्रों को भूकंप अध्ययन में माना जाता है ब्लैक स्पॉट
मेरिका के राइस यूनिवर्सिटी के रिसर्चर एजो-फ्रैंकलिन के मुताबिक, पहली बार किसी ने ऑफशोर फाइबर ऑप्टिक केबल का उपयोग समुद्री संकेतों के अध्ययन के लिए किया है। भूकंप के अध्ययन में समुद्रों को ब्लैंक स्पॉट की तरह माना जाता है। समुद्री सतह के नीचे होने वाली गतिविधियों की जानकारी नहीं मिल पाती। एक अन्य शोधकर्ता बर्कले यूनिवर्सिटी की नेट लिंडसे के मुताबिक, अगर समुद्री तट से पहले 50 किमी. की दूरी तक भी भूकंप संबंधी उपकरण लगाए जाते हैं तो बड़ी उपलब्धि होगी।
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