भारत को वर्ल्ड रैकेटलॉन चैम्पियनशिप में दो गोल्ड, टीम इंडिया ने पहली बार हिस्सा लिया
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खेल डेस्क. भारत ने वर्ल्ड रैकेटलॉन चैम्पियनशिप में दो गोल्ड, एक सिल्वर, एक ब्रॉन्ज मेडल जीते। जर्मनी के लिपजिग शहर में हुई रैकेटलॉन की 17वीं वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भारत ने टीम इवेंट और पुरुष ओपन कैटेगरी में गोल्ड जीते। जबकि पुरुष 45 साल से ज्यादा कैटेगरी में सिल्वर और पुरुष ओपन कैटेगरी में ब्रॉन्ज जीता। रैकेटबॉल चारों रैकेट स्पोर्ट्स का मिक्स्ड इवेंट है। यह ट्राएथलॉन जैसा इवेंट है। जैसे ट्राएथलॉन में रनिंग, स्वीमिंग, साइक्लिंग करनी होती है, वैसे ही रैकेटलॉन में टेबल टेनिस, बैडमिंटन, स्क्वॉश, टेनिस के मैच खेलने होते हैं।
भारत ने पहली बार इस चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया और पहली ही बार में टीम इवेंट में चैलेंज कप जीत लिया। भारत की टीम ए ने फाइनल में ऑस्ट्रिया को 107-101 से हराया। टीम ए ने फाइनल के सफर में ब्रिटेन, जर्मनी, अमेरिका को हराया। पुरुष ओपन कैटेगरी के गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव कश्यप और ब्रॉन्ज मेडलिस्ट वरिंदर सिंह रहे। चैम्पियनशिप में 30 देशों के 500 से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। भारत के 13 खिलाड़ी उतरे।
2003 में पहली वर्ल्ड चैम्पियनशिप हुई थी
इस खेल की शुरुआत 80 के दशक में फिनलैंड और स्वीडन से हुई थी। यूरोप के 33 देश इस खेल की वर्ल्ड संस्था फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल रैकेटलॉन (एफआईआर) से जुड़े हैं। इस खेल की पहली वर्ल्ड चैम्पियनशिप 2003 में हुई थी। पिछले महीने अक्टूबर में भारत में पहली बार रैकेटलॉन की नेशनल चैम्पियनशिप हुई। अहमदाबाद में हुए इस इवेंट में 155 से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था।
सबसे पहले टेबल टेनिस, आखिरी में टेनिस
इसमें चारों रैकेट स्पोर्ट्स के एक-एक सेट खेलने होते हैं। सेट खत्म करने के लिए पॉइंट के बीच दो का अंतर होना चाहिए जैसे कि 21-19। सबसे पहले टेबल टेनिस, फिर बैडमिंटन, स्क्वॉश खेलते हैं और सबसे आखिरी में टेनिस। सबसे ज्यादा पॉइंट बनाने वाला टीम या खिलाड़ी विजेता घोषित होता है। अगर कोई खिलाड़ी या टीम 3 सेट में ही ज्यादा प्वाइंट बना लेता है तो चौथा सेट नहीं होता।
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