अमेरिकी एडवोकेसी ग्रुप ने कहा- इमरान खोखरापार-मुनाबाओ बॉर्डर खोलें, लाखों हिंदू और मुस्लिमों को फायदा होगा

अमेरिकी एडवोकेसी ग्रुप ने कहा- इमरान खोखरापार-मुनाबाओ बॉर्डर खोलें, लाखों हिंदू और मुस्लिमों को फायदा होगा
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वॉशिंगटन. अमेरिका की एक एडवोकेसी ग्रुप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से खोखरापार-मुनाबाओ बॉर्डर को खोलने की मांग की है। एडवोकेसी ग्रुप वॉयस ऑफ कराची ने कहा कि खोखरापार बॉर्डर को खोले जाने से राजस्थान में संत मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर शरीफ का दर्शन कई श्रद्धालु कर सकेंगे। वहीं, हिंदू श्रद्धालु भी पाकिस्तान में बलूचिस्तान प्रांत के हिंगराज मंदिर के दर्शन कर सकेंगे। ग्रुप ने हाल ही में सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरीडोर को खोले जाने को लेकर प्रधानमंत्री को बधाई भी दी।

आजादी के बाद पाकिस्तान में बसने वाले मुस्लिम ‘मुजारिस’ इस ग्रुप का प्रतिनिधित्व करते हैं। उसने कहा कि उनका वेबसाइट पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची की स्थिति को लेकर वैश्विक स्तर पर जागरुकता फैलाने को लेकर प्रतिबद्ध है। ग्रुप से जुड़े नदीम नुसरत ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्‌ठी में कहा, “आपकी सरकार ने करतारपुर कॉरीडोर को खोलकर जो दरियादिली दिखाई है इससे सिख श्रद्धालुओं को पाकिस्तान स्थित पवित्र स्थल का दर्शन का लाभ मिल रहा है। मैं उन लाखों मुस्लिम और हिंदूओं की तरफ से आपसे अनुरोध करता हूं कि खोखरापार-मुनाबाओ बॉर्डर को भी तत्काल प्रभाव से खोलकर इसी तरह की उदारता दिखाएं।”

आजादीके बाद से लाखों श्रद्धालुओं कोदर्शन करने में समस्याएं हो रही

नुसरत ने कहा, “इससे न सिर्फ आप लाखों दिलों को जीत पाएंगे बल्कि लोगों के बीच आपसी संबंध सुधरने से देशों के बीच तनाव में भी कमी आएगी। इसके साथ ही, करतारपुर कॉरीडोर के खोले जाने के पीछे के उद्देश्यों को लेकर जो अटकलें लगाई गई थी, वह भी खत्म होगा।” उन्होंने कहा कि 1947 के बाद से लाखों मुस्लिमों और हिंदुओं को पवित्र स्थल के दर्शन करने के लिए समस्याएं हो रही है। आपको करतारपुर कॉरीडोर की तरह ही इस मुद्दे को भी सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।

खोखरापार से अजमेर शरीफ दरगाह का रास्ता महज कुछ घंटों का: नुसरत

नुसरत ने कहा, “पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भारत से आकर बसे लाखों मुस्लिमों के दिल में हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती को लेकर सम्मान का भाव है और वे भारत जाना चाहते हैं। इसमें कोई भी रोड़ा नहीं आना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान का सिंध प्रांत भारत के राजस्थान के साथ सीमा साझा करता है और सिंध के खोखरापार से अजमेर शरीफ दरगाह का रास्ता महज कुछ घंटों का है। अभी इन श्रद्धालुओं को पंजाब और दिल्ली से होकर अजमेर शरीफ जाना पड़ता है। इससे समय ज्यादा लगता है और मध्यवर्गीय परिवारों अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ता है।”

हिंगराज मंदिर बलूचिस्तान प्रांत के मकरान तट पर स्थित है

उन्होंने कहा, “यदि मानवीय पहलू की नजर से देखा जाए तो यह लाखों लोगों के धार्मिक मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला है। वहीं, इसी तरह की समस्याएं भारत के हिंदुओं को भी हिंगराज मंदिर आने के लिए आती है। उन्हें दर्शन के लिए चार दिन का समय लग जाता है।” हिंगराज मंदिर बलूचिस्तान प्रांत के मकरान तट पर पवित्र हिंदू मंदिर है।”

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान।- फाइल फोटो

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